डॉ. शान्तावीर महास्वामी जी के
नेतृत्व में सर्व-भाषा महासम्मेलन सह कवि सम्मेलन, बंगलोरु एवं भारतीय
भाषा साहित्य समागम का दो दिवसीय विशेष अधिवेशन का आयोजन किया गया था| इस अवसर पर
पर देश के कोने-कोने से भाषा प्रेमी आमंत्रित विद्वान अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम
की शोभा बढ़ा रहे थे| मौके पर आमंत्रित युवा
कवि चन्द्रशेखर प्रसाद सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय
प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत का प्रतिनिधित्व करते हुए
भारतीय भाषाओँ पर चर्चा-परिचर्चा किये साथ ही हिंदी की वकालत करते हुए हिंदी के
गुण महत्ता सरलता व समृद्धि को आलोकित किया|
कार्यक्रम के अगले दिन सर्व-भाषा
महासम्मेलन सह कवि सम्मेलन, में कवि चन्द्रशेखर प्रसाद ने अपनी
स्वरचित रचनाएँ सुनाकर श्रोतागण को भाव विभोर कर दिया | देश के कोने-कोने से पधारे
साहित्यकारों ने अपने विचारों व रचनाओं से लोगों के अंदर निज भाषा-राष्ट्र भाषा के
प्रति सम्मान व सिखाने एवं प्रयोग करने हेतु उत्सुकता के अलख जगा दिए|
कार्यक्रम
के अनतिम सत्र में आमंत्रित कवियों साहित्यकारों व विद्वानों को उनके विशेष योगदान
हेतु डॉ, कोलाडा, मठाधिपति डॉ. शान्तावीर महास्वामी जी के कर कमलों द्वारा सभी को
विभिन्न पुरस्कारों की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया |
डॉ. शान्तावीर महास्वामी ने युवा कवि चन्द्रशेखर प्रसाद को “साहित्यं श्री” सम्मान
पुरस्कार की मानद उपाधि के साथ-साथ भेंट
चिह्न अंग वस्त्र देकर अलंकृत व विभूषित किया|
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