Friday, October 7, 2011

TASUNAMI (सुनामी) :





हाय, सुनामी  का  क्या  कहना ,
जबाब  नहीं  है  उसका        |
उसने  दिया  है दर्द  दिल  का ,
अब  किसी  से  क्या कहना  ||

बलि  ले  ली  उसने  उन  वल वालों    को  ,
घर  से बेघर  कर  डाला  उन घर  वालों   को |
मार  ही  डाला उसने हम सबके  रिश्तेदारों   को ,
जुदा  कर दिया उसने अपनों से प्यारों  को  ||

कितना  है ये हाय ! कमीना  ,
जिसने  लाखों  का सुख  छिना  |
फुटा  प्रभात  जब  हुआ  बिहान  ,
बह  चले  उर  में बसे  मानव  के प्राण  ||

माँ  की  ममता  लुट  गयी ,
पिता  का स्नेह   बिखर    गया  |
हम  सुब  बटोर    पायें  उसको ,
ये  सुनामी ले भागा  सबको  ||

अब हुए  बस  में  हम  वेगानों  के ,
अपने  अपनों से बिछुरा   के  |
छोर  गए  वे  हमको ,
दरदर की ठोकरे खाने  को ||

अब ये दुनियां  दानें - दाने   को तरसाती  है,
माँ की ममता याद  दिलाती  है  |
अपनों  की याद बड़ी  सताती  है  ,
ये  दिल  फिर  अपनों  से मिलाने  को  करती  है ||

                         चन्द्रशेखर प्रसाद