Monday, October 10, 2011

KAVI SAMMELAN (सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में काव्य संध्या का आयोजन):




सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,सूरत के बैनर तलेप्राकृतिक उर्जाओं का संरक्षण एवं  उपयोग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला व् हिंदी प्रचार- प्रसार कार्यक्रम  के अंतर्गत काव्य-संध्या  का भी आयोजन किया गया |

मौके पर उपस्थित डॉ प्रदीप कुमार सिंह देव ने अपनी कविता अंग्रेजी का बुखारमें कहा : जो हिंदी में नाक पोछना नहीं जानते ,वो भी सॉरी,प्लीज,थैंक्यू बिना बोले नहीं मानतेसुरेश प्रसाद सिंह श्वेताभने बड़े ही शालीन अंदाज में कहा : जुल्फों की घटाओं की तरफ खोल दो बाहें ,ये रात महक जाये करो प्यार की बातें|मंच संचालन में साथ दे रहे चन्द्रशेखर प्रसाद ने उम्मीद-ऐ इंतजारमें शमां बंधाते हुए कहा: बेखबर उन अंधेरों से,कभी हम भी संग तेरे,कुछ ख्वाब बुना करते थे /तेरी बाँहों को थाम बेख़ौफ़ चला करते थे /हम भी रख सर गोद तुम्हारे,तुम्हें निहारा करते थे /कभी तुझमें  चाँद तो कभी चाँद में तुम नजर आते थे|” 

वहीँ दूसरी ओर परिस्थिति के बिपरीत राहुल रंजन ने कहा:इन लम्हों के दामन में,उमर के इस सावन में,प्रीत के इस चिलमन में,कबतक तरपाओगी,जाने तुम कब आओगी ?फिर मृत्युंजय मिश्रा ने माहौल बदलते हुए फ़रमाया :नजरों का छुपछुप के मिलाना,आँखों का आँखों को पढ़ना /ऊपर से तेरा शर्माना,अब तक मुझको याद है/सालों पहले की बात है और उर्मिला उर्मी  ने अपने सुरीले स्वर में गीती रचना :गैर के हिस्से का आकाश न देना मुझको /टूट जाये वो विश्वास न देना मुझकोगाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दी|

मंच संचालन करते हुए संजय लोढा लोगों को हँसा हंसा कर लोट-पोट कर दिया साथ ही आतंकवाद के खिलाफ कहा :इस देश की जनता इंसाफ चाहती है ,आतंकियों  के खिलाफ अमेरिका जैसी करवाई चाहती है|काव्य के इस अमृतवर्षा में सभी श्रोता देर शाम तक मंद मंद भींगते रहे....और अंत में का. हिंदी अधिकारी डॉ. के डी यादव मंचासीन लोगों को मोमेंटो देकर सभी का धन्यवाद ज्ञापन किये |

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