अपना परिवार है अति सुन्दर ,शोभा इसकी सबसे बेहतर |
वातावरण है इसका ऐसा ,शांति भवन हो जैसा ||
पिता - पुत्र में प्रेम है ऐसा , भक्त -भगवान में हो जैसा |
भाई -बहन में प्रेम है कैसा ? दीपक –पूजा –चन्दन में जैसा ||
घर के बच्चे सज्जन सारे , लगते है सबको प्यारे |
कभी न किसी से झगरा करते ,रहते हैं मिलजुल कर सारे ||
बच्चा होता प्यार का भूखा ,माता -पिता होता इसका दाता |
हमको सबसे प्यार है कैसा ? मछली को पानी से जैसा ||
माता बनी स्नेह की मूर्ति ,और है वो करुणामयी |
ऐसा लगता है जैसे , यहाँ हो कोई दयामयी ||
हम सबमें प्रेम है इतना ,सागर में सलिल हो जितना |
दादा–पोता में प्रेम है कैसा ? गुरु –शिष्य में होता जैसा ||
ध्यान लगा कर पढ़ते लिखते ,खाते- पीते , हँसते - गाते |
हम सब अनुसासन में ही रहते ,सबकी सेवा तन-मन से करते ||
हम सब का लक्ष्य है ऐसा ,गाँधी- सुभाष- कलाम के जैसा |
दादा जी की बस एक ही इच्छा ,मेरा पोता हो सब से अच्छा ||
चन्द्रशेखर प्रसाद
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