Monday, July 25, 2016

डी.एम.आईं. टेस्ट, मिड ब्रेन एक्टिवेशन एवं ऍन.एल.पी. पर आयोजित सेमिनार संपन्न :

फरीदाबाद स्थित कार्यालय में इंस्प्रेसन टेक्नोलॉजी के सौजन्य से "डी.एम.आईं.टी., मिड ब्रेन एक्टिवेशन, ऍन.एल.पी" पर एक विशेष सेमिनार आयोजित किया गया। मौके पर मुख्यातिथि के रूप में भाग्यशीला माइंड एकेडमी एन्ड कन्सल्टेंट्स प्रा.लि. से डॉ संतोष भरद्वाज(एम.डी.) अतिथि विशेष चन्द्रशेखर प्रसाद (सी.ई.ओ.) एवं आनद मोहन (कन्सल्टेंट) विराजमान थे।


चन्द्रशेखर प्रसाद ने वर्तमान शिक्षा पद्धति के खामियों से बचने के उपाय सह  'डर्मेटाग्लाफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट' के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए 'ब्रेन मैपिंग' के वैज्ञानिक कारण व तकनीक से लोगो को अवगत कराया। जीवन के विभिन्न क्षेत्रो में इससे होने वाले फायदे से रु-ब-रू कराया। अब तक लोग ये जानते है की हर व्यक्ति को अपने रूचि के अनुसार पढाई व नौकरी करनी  चाहिए लेकिन व्यक्ति की रूचि क्या है यह जानने और समझने में वर्षों लग जाते हैं।  सही समय पर सही जानकारी व्यक्ति के लिए लाभप्रद होता है। डी.एम.आई.टी.के माध्यम से छात्र या व्यक्ति विशेष को अपने जन्मजात प्रतिभा, रूचि, कार्य दक्षता, शिखने की पद्धति व क्षमता, व्यक्तित्व के प्रकार, आई.क्यू., इ.क्यू.,ए.क्यू. और सी.क्यू. के साथ-साथ सम्बंधित कैरियर विकल्प ज्ञात कर पान सम्भव है।



डॉ  भारद्वाज ने लोगो को "मिड ब्रेन एक्टिवेशन, एवम ऍन.एल.पी"  के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दिया। अगर बच्चा मिड ब्रेन एक्टिवेटेड है तो वह बंद आँखों से भी कार्ड पर लिखा चीज व रंग या बने इमेज को बता सकता है ।डॉ  भारद्वाज के निर्देशानुसार वर्ग आठ की आशा कुमारी जो मिड ब्रेन एक्टिवेटेड है उन्होंने बंद आँखों से ये सब कर दिखाई। लोगो ने उत्सुकतापूर्वक जेब से नॉट निकल कर दिया आशा ने बंद आँखों से नॉट को पहचान कर उसका सीरियल नंबर भी बताया। लोगों ने अपनी संतुस्ती के लिए कई प्रकार से जान किये और आशा ने बंद आँखों से सब सही बता दिया।यह देख सभी उपस्थित दर्शक हतप्रभ थे। डॉ भारद्वाज ने बताया की यह पांच से पन्द्रह वर्ष के बच्चे लिए मिड ब्रेन एक्टिवेशन ट्रेनिंग कोर्स  के बाद ऐसा कर सम्भव है। डॉ  भारद्वाज मिड ब्रेन एक्टिवेशन, एवं ऍन.एल.पी, ब्रेन-माइंड पवार ट्रेनर, क्लीनिकल हिप्नोथेरेपिस्ट हैं।

साथ ही आनन्द मोहन ने इक्षुक लोगो का डी.एम.आई. टेस्ट अवलोकन व काउंसिलिंग किया। मि. आनद  ने लोगों की बात सुनी, लोगों को रिपोर्ट दिखाया, समझाया साथ ही काउंसिलिंग के दौरान व्यक्तिगत उलझन दूर करते हुए सह कैरियर चयन में सही मार्गदर्शन किया। लोगों ने डी.एम.आई. टेस्ट के सन्दर्भ में संतुष्टि और सहमति बताते हुए कहा की यह टेस्ट आज हर किसी को करना चाहिए,ये आज लोगो की जरुरत है। सभी ने कार्यक्रम के आयोजक प्रीति गुप्ता (एम्.डी.- इंस्प्रेसन टेक्नोलॉजी) एवं उसकी टीम को धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु प्रशंसा की।

Monday, September 7, 2015

"राष्ट्रीय शिखर सम्मान " (साहित्य)

‪#‎राष्ट्रीय_शिखर_सम्मान_2015‬
अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन सह सम्मान समारोह में "राष्ट्रीय शिखर सम्मान " (साहित्य) हेतु आमंत्रण प्राप्त हुआ |


Tuesday, July 14, 2015

हिंदी का वैश्विक स्वरुप

आज हम हिंदी को जिस रूप में देख-सुन पा रहे हैं वो हमें गौरवान्वित करती है| दुनिया भर के लोग हिंदी सीख–सिखा रहे हैं| हिंदी के इस सीखने-सिखाने के कड़ी में आज हम डॉ. जी.पी. शर्मा से जानेंगे कि चीन में हिंदी पढाते हुए वो कैसा अनुभव करते हैं और वहाँ हिंदी की क्या स्थिति है ? आपको बता दूँ, डॉ. शर्मा चीन के गुआंगडांग अंतर्राष्ट्रीय भाषा विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफ़ेसर हैं|
हिंदी इस समय राष्ट्रीय भाषा ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय भाषा है| हिंदी ने आज के समय में अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है| हिंदी पहले की तुलना में साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक  दृष्टी से समृद्ध हुई है| भूमंडलीकरण के इस दौड़ में दुनिया भर का ध्यान अब मंडारिण, हिंदी और स्पैनिस दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा हैं| इनका कारण साहित्य पर्यटन और व्यबसाय है|
हिंदी इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में दूसरे स्थान पर है| पहले स्थान पर चीनी भाषा मंडारिण और तीसरे स्थान पर स्पैनिस| अंग्रेजी का स्थान चौथा है लेकिन दुर्भाग्य है कि अंग्रेजी को हिंदी से ऊपर रखा जाता है और हिंदी को उसके बाद|
हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर है| हिंदी समझने वालों में से नेपाल, भूटान , बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान देश भी शामिल है| इसमें नेपाल, पाकिस्तान और बंगलादेश हिंदी बोलते भी है| हाँ पाकिस्तान और बंगलादेश की लिपि फारसी है नहीं तो हिंदी का स्वरुप और बड़ा सिद्ध किया जा सकता था|
फिजी, मपाना, त्रिनिडाड, टुबैगो और मारिशस में भी हिंदी का बोलबाला है| यहाँ भारतीय मूल के लोग हिंदी बोलने में गौरव महसूस करते हैं और उनकी तादाद अच्छी खासी है| आज कि स्थिति ये है कि दुनिया हिंदी को व्यापारिक उद्देश्य से भी सीख रही हैं|

चन्द्रशेखर : डॉ.साहब आप हमें ये बताईये कि चीन में हिंदी की क्या स्थिति है ?
डॉ. शर्मा : चीन में हिंदी की स्थिति बहुत मजबूत है| 10 से अधिक विश्वविद्यालयों में ये मुख्यभाषा के रूप में पढ़ाई जा रही है |विजिंग विश्वविद्यालय में अनेक स्तरीय शोध यह दर्शाते हैं कि हिंदी चीन में न केवल व्यापार में है बल्कि साहित्य एवं संस्कृति में भी| हिंदी पर सैकड़ों  शोधपत्र चीन के विविध विश्वविद्यालयों में प्रस्तुत किये गए हैं | जिससे यहाँ अप्रतित होता है कि संस्कृत के बाद चीन ने सबसे अधिक ध्यान हिंदी पर दिया है |विदेशी भाषाओँ में अंग्रेजी तो वहाँ केवल बोलने के स्तर तक लोग सिखाना-सीखना पसंद करते हैं लेकिन हिंदी को गंभीर अध्ययन के लिए पढते-पढाते हैं| चीन में हिंदी का भविष्य उज्ज्वल हैं |
चन्द्रशेखर :  आप सही कह रहे हैं,हिंदी दुनियाभर में फ़ैल रही है लेकिन अपने देश में हिंदी की स्थिति अच्छी नहीं है|कमाल पासा ने तुर्की को अनिवार्य रूप से राजभाषा बनाया था तब जाके लोगों ने उसे सिखा था लेकिन हिंदी के लिए हमारे देश में कोई दृढ संकल्प नहीं है| हम अंग्रेजी बोलकर गौरव महसूस करते हैं, हिंदी को बोलकर नहीं |
डॉ.शर्मा:  हाँ चन्द्रशेखर जी हकीकत तो यह है कि बीजिंग विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर च्यानचिंग ने एक मुलाकात में मुझसे कहा कि “ शर्मा जी  हिंदी में विद्वानों की कमी नहीं है पर प्रेमियों की है| जैसे हम मंडारिन बोल कर गर्व का अनुभव करते हैं वैसे आपके यहाँ हिंदी बोलने में गर्व का अनुभव मैंने नहीं देखा|  मैं भारत जाता हूँ तो देखता हूँ कि हिंदी के प्रोफ़ेसर मुझसे तो मुझसे अपने लोगों तक से हिंदी में बात करते हैं| इस मामले में डॉ.नामवर सिंह और काशीनाथ सिंह अपवाद है जो हिंदी में ही बात करना पसंद करते हैं|”
चन्द्रशेखर : हाँ विजिंग के प्रोफ़ेसर की बात सही है लेकिन मैं यह भी देखता हूँ कि मोदी जी हिंदी के विकास पर ध्यान दे रहे हैं|
डॉ.शर्मा:  चन्द्रशेखर जी मोदी जी के अकेले ध्यान देने से अच्छा है कि हम सभी बराबर ध्यान दे |तभी हिंदी का सही विकाश होगा| मोदी जी संघाई गए थे| इसमे मैं भी गया था |चीन में रह रहे भारतीय को उन्हें संबोधित करना था, काफी संख्या में वहाँ भारतीय पहुंचे थे| लेकिन उनके मंच संचालक न जाने क्यों अंग्रेजी में ही सबकुछ कह-सुन  लेना चाहते थे, जबकि मोदी जी ने अपना भाषण हिंदी में दिया| जो चीनी हिंदी बोलते हैं वे अपने बातों में अंग्रेजी शब्दों को स्थान नहीं देते| जबकि हम भारतीय या तो अंग्रेजी में बात करना चाहते हैं या अंग्रेजी युक्त हिंदी|  जो हिंदी के लिए कतई शुभ संकेत नहीं है |
चन्द्रशेखर :  जिस विश्वविद्यालय में आप पढाते हैं उसमे विद्यार्थियों की हिंदी किस स्तर की है ?
डॉ. शर्मा : मैं जिस विश्वविद्यालय में पढाता हूँ उसके विद्यार्थी हिंदीमय हैं| उन्होंने अपने नाम तक हिंदी में रखे हैं| वे जब हिंदी बोलते हैं तो हिंदी बोलने के क्रम में एक बार भी विश्वविद्यालय की जगह यूनिवर्सिटी शब्द का प्रयोग नहीं करते सुना| वे प्रथम वर्ष में वर्णमाला सीखते हैं एवं तीसरे वर्ष के प्रथम सत्र में ही हिंदी साहित्य का इतिहास पढते हैं| इससे आप उनके हिंदी के प्रति रूचि एवं इसके ज्ञान का स्तर का खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं|
चन्द्रशेखर :  आप नयी पीढ़ी को क्या सन्देश देना चाहते है ?
डॉ. शर्मा :  मैं अपने नयी पीढ़ी से ये अनुरोध करता हूँ कि वे अपनी मातृभूमि और राष्ट्रभाषा में बोलकर गौरव महसूस करे और उसे प्रयोग में लाएँ| मैं मानता हूँ कि अंग्रेजी जरुरत की भाषा हो सकती है परन्तु गौरव की भाषा नहीं| लोग अनावश्यकरूप से अंग्रेजी बोलकर जो गौरव महसूस करते हैं, वह वास्तव में गौरव का विषय नहीं है| सचमुच जब हमलोग हिंदी बोलकर गौरव का अनुभव करने लगेंगे, तभी हिंदी के विकाश के नए सोपान गढे जा सकेंगे| दुनिया के जितने भी देश आज विकास के शिखर पर हैं, उन्होंने अपनी शिक्षा और विकाश के सरे कार्यक्रम अपनी भाषा में ही किये हैं| चीन,जापान,रूस श्रेष्ठ उदहारण हैं| हमें भी अगर विकास के सोपान तय करने हैं तो अपनी भाषा को उपयोग में ही लाना होगा| 

Friday, March 20, 2015

आ संग मेरे तू चल














'गर है प्यार तुमको मुझसे,
संग मेरे तू चल,
रुको दो पल भी,
नदियों सा बह कल-कल-कल |

पहाड़ों से गिरी सरिता,
सदैब बहने का लिए संकल्प,
तू भी पानी सा,जीवन पथ में
संग मेरे बढ़ने को हो प्रतिबद्ध ||

भवरों तितलियों ने,
फूलों के मधुमय होठों पर,
कितने चुम्बन टाँके होंगे,
क्या माली इस पर रोक लगा पाया है ?

कितने फूल मुर्झाये, कितनी कलियाँ मुस्कायी,
कितने भवरें रुथ गए, कितनी तितलियाँ लहराई,
हवा के झोंको से. जब मौसम बासंती हो जाती है
तो इन पर कितने दिन माली ने शोक मनाया है ?

कच्चे धागों जैसे रिश्ते,
जुगनू सा अनुबंध है जिसका, 
उनसे तू उम्मीद कर,
रुढीवादी समाज ने अक्सर
स्त्रियों को ही धुत्कार है|

कितने मौसम बीत गए,
यादों के मंजर में,
काँटों के भी मन महुआए,
पुरवईयाँ अपने घर लौट चली |

अनुबंधों की माटी में,
अब तक  प्यार नहीं पनपा,
नफरतों के रेगिस्ताँ में,
गर्म तबे पर पानी सा,
छन्न से लुप्त हुआ मोहब्बत |

आज रात इस चाँदनी में,
आओ लिखें हम भी,
अपनी दास्ताँ--मोहब्बत,
जीवन के हर पन्नों पर होगा,
गजल रुबाई गीत गुलाब |

सावन की आँखों में उपजे आँसू भी होंगे,
फागुन की सुरमयी धुप भी मुस्कायेगी |

झूठे रिश्ते के इस बंधन में,
मैं कहीं उलझ जाऊं,
इससे पहले,
थाम ले तू  हाथ मेरा,

सूरज के उगने तक,
इस अंधकार में,
मशाल बनकर जल ,
मेरे संग तू चल,
साथ-साथ संग मेरे तू चल |

                       -    चन्द्रशेखर प्रसाद 


बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान -सन्देश यात्रा

Adventures trip of ONE INDIA TEAM: बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान को मुहिम बनाकर 4500 किलोमीटर की सन्देश यात्रा पर निकले 'एयर डिफेन्स रेजिमेंट' के 12 जवानों से सूरत में हुई मुलाकात |


बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान को को सफल बनाने हेतु दृढ संकल्पित सन्देश यात्रा पर निकले “एयर डिफेन्स रेजिमेंट” के 12 जवान  कैप्टेन सुमन गोदारा, कैप्टेन निमित्त नरूला, नायक सूबेदार जयसिंह पवार, हवलदार सुनील कुमार, हवलदार एसके प्रधान, हवलदार संतोष गोखले,नायक शक्तिवेल एस, हवलदार वी. चरण, नायक नरेश रोहिला नायक एस के पाठक, ओ.पी.आर.पूरण सिंह, ओ.पी.आर.सनी जोशी न्यु कशी विश्वनाथ धाम, जय जवान जय किसान नगर, बमरौली, सूरत  में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित रहे|


कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के पाश्चात् मंच संचालन करते हुए चन्द्रशेखर प्रसाद के स्वागत भाषण से हुई | आजकल कन्या भ्रूण हत्या और नारियों के प्रति देश में अपराध बढ़ने लगे तो यहाँ उपस्थित जवानों से परिवर्तन हेतु सन्देश यात्रा पर निकले| आज देश को परिवर्तन चाहिए, साथ ही लोगो के द्वारा उठाये गए कदम और इसकी शुरुआत हम अपने घरों से, अपने आप में परिवर्तन लाकर करेंगे| “हम बदलेंगे, समाज बदलेगा, देश का सर्वांगीण विकाश होगा |”इस कार्यक्रम का भी यही उधेश्य है |
जब रोज बस्तियों को जलाया करेंगे लोग, किस आश पर घरों को सजाया करेंगे लोग |
और ऐसा ही अगर आँधियों का सिलसिला रहा, घर में चिराग भी न जलाया करेंगे लोग ||

टीम की प्रतिनिधित्व कर रही कैप्टन सुमन गोदारा ने बताया कि वह मूलतः हरियाणा की है और पोस्टिंग मथुरा में हैं |वे सेना में आने वाली खानदान पहली लड़की है इस पर उन्हें और सभी परिवार वालों को गर्व है |उन्हें सेना में 4 साल हो चुके हैं| वे एन.सी.सी. की छात्रा रही है| अब सेना का हिस्सा बन कर खुद को खुशकिस्मत समझती है |वे लड़कियों को भी इसमे आने के अवसर को बताती है और उन्हें प्रेरित करती है|

कैप्टन सुमन एवं उनके साथ आये कैप्टेन निमित्त नरूला ने बताया कि वे सोमबार सुबह जोधपुर से निकले|टीम का नाम ‘वन इण्डिया’ है जो अलग अलग जगहों पर जा कर बेटी बचाने बेटी पढाने और सामाजिक कुरीतियाँ खत्म करने का सन्देश देते हुए  युवाओं एवं लड़कियों  को भी सेना ज्वाइन करने हेतु प्रोत्साहित कर रहें हैं |वे राजस्थान, गुजरात के आलावा मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में 4500 कि.मी. का सफर तय करेंगे|उनका लक्ष्य 12 दिनों में सफर तय करना है|उदयपुर से उनका कारवां गांधीनगर होते हुए सूरत पहुंची है और सफर जारी है|

सूरत में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम के आयोजन एवं लोगों की इतनी अच्छी सकारात्मक प्रतिकिया उनके अपेक्षाओं से बेहतर रही| ऑन इण्डिया टीम ने सभी आयोजकों के परती आभार प्रगट किया |
इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु बहुत लोग प्रत्यक्ष एंवं अप्रत्यक्ष रूप से अथक प्रयाश किया है|संयोजक-बंशु जे यादव,शैलेन्द्र त्रिपाठी सह-संयोजक- इंजी. चन्द्रशेखर प्रसाद, इंजी. शुभम सारथि,अखिल भारतीय श्री जीन माता सेवा संघ के शरद खंडेलवाल व अन्य सदस्यों के विशेष सहयोग से कार्यक्रम सफल हुआ|